Panama Canal पर जब अमेरिका का कब्जा था तो फिर कमान पनामा को कैसे मिली; क्या कानूनी दांव पेच में फंस जाएंगे ट्रंप ?
डोनाल्ड ट्रंप ने के पनामा पर बेवजह शुल्क वसूलने का आरोप लगाने के बाद से पनामा नहर चर्चा में है। पनामा क्या है? नहर का नाम पनामा क्यों रखा गया? नहर को किसने और क्यों बनवाया? अभी पनामा नहर का कंट्रोल किसके पास है? पनामा नहर से क्या होता है? क्या ट्रंप पनामा नहर को वापस ले सकते हैं अगर हां तो कैसे? यहां पढ़ें सभी सवालों के जवाब
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि पनामा नहर के इस्तेमाल के लिए मनमानी फीस वसूल रहा है। पनामा नहर की फीस कम की जाए। वरना उनका प्रशासन पनामा नहर को फिर से अमेरिका के नियंत्रण में लाने के लिए कदम उठा सकता है
इस पर पनामा के राष्ट्रपति होसे राउल मुनीलो ने जवाब दिया कि पनामा नहर का हर एक वर्ग मीटर सिर्फ हमारा है। वह पनामा की संप्रभुता और स्वतंत्रता से किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे। इसके बाद से लगातार पनामा नहर चर्चा में है।
क्या आपको पता है कि पनामा क्या है? नहर का नाम पनामा क्यों रखा गया? ये कहां पर स्थित है? पनामा नहर को किसने और क्यों बनवाया? अभी पनामा नहर का कंट्रोल किसके पास है? पनामा नहर से क्या होता है? क्या ट्रंप पनामा नहर को वापस ले सकते हैं, अगर हां तो कैसे और उसकी कानूनी प्रक्रिया क्या है? अगर आपको इन सवालों के जवाब नहीं पता हैं तो कोई बात नहीं, हम आपको एक-एक कर सभी सवालों के जवाब बताते हैं.
इसे लैटिन अमेरिका का दुबई भी कहा जाता है। जबकि पनामा नहर एक मानव निर्मित जलमार्ग है। यह नहर अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ती है। इसकी कुल लंबाई करीब 82 किलोमीटर, औसत चौड़ाई 90 मीटर और न्यूनतम गहराई 12 मीटर है। नहर को पनामा की रीढ़ की हड्डी माना जाता है।
अब सवाल है कि नहर का नाम पनामा क्यों रखा गया?
इस नहर का नाम पनामा देश के नाम पर रखा गया है, क्योंकि यह नहर पनामा देश में है।
पनामा नहर को क्यों बनाई गई?
यह उस वक्त की बात है, जब पनामा नहर नहीं बनी थी। तब पानी के रास्ते एशिया से अमेरिका महाद्वीपों के पूर्वी इलाकों में जाने के लिए पहले दक्षिण अमेरिका के निचले सिरे तक जाना पड़ता और फिर वहां से उत्तर की ओर जाना होता था। इस पूरे सफर में हजारों किलोमीटर की दूरी तय करनी होती थी।
तब भूगोल के जानकारों ने सुझाव दिया कि अगर पनामा में एक नहर बना दी जाए तो दुनिया के कई देशों का समय और पैसा दोनों की बचत होगी। इसके बाद सफर की दूरी कम करने, समय और पैसे की बचत करने के लिए पनामा नहर बनाई गई।
पनामा नहर को किसने बनवाया?
सबसे पहले 1880 के दशक में फ्रांस ने पनामा नहर बनाने का काम शुरू किया था। टीम को भौगोलिक व जलवायु चुनौतियां से जूझना पड़ा। मलेरिया और यलो फीवर जैसी बीमारियों के चलते हजारों श्रमिकों की जान चली गई। ऐसे में फ्रांस ने अपनी कोशिश को विराम दे दिया।
इसके बाद, 1904 में अमेरिका ने पनामा नहर के प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लिया था। फिर अमेरिकी इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने बेहतर तकनीक का इस्तेमाल करते हुए 1914 में नहर बना दी। नहर को बनाने में बड़ी संख्या में इंजीनियर, साइंटिस्ट और मजदूर लगे। उस वक्त इस नहर को बनाने 38 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च हुए थे।
अभी किसके पास पनामा नहर का कंट्रोल है?
जब पनामा नहर बनकर तैयार हुई, उसके बाद कई सालों तक इस पर अमेरिका का कंट्रोल रहा। धीरे-धीरे पनामा में इसका विरोध शुरू हुआ। तब साल 1977 में अमेरिका और पनामा के बीच एक समझौते (Panama Canal Treaty) पर हस्ताक्षर हुए। समझौते में इस बात पर सहमति बनी कि 1999 तक पनामा नहर का संचालन अमेरिका करेगा।
इसके बाद संचालन की जिम्मेदारी पनामा को सौंप दी जाएगी। ऐसा हुआ भी। 31 दिसंबर, 1999 को पनामा नहर का पूरा कंट्रोल पनामा के पास आ गया। मौजूदा समय में पनामा नहर का कंट्रोल पनामा सरकार के पास है। इसके संचालन और प्रबंधन की जिम्मेदारी पनामा कैनाल अथॉरिटी (Panama Canal Authority) के पास है।
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